Tuesday, February 10, 2009

ग्रीन हाउस गैसों प नियंत्रण पाना बड़ी चुनौती: शैनल

हिसार 10 फरवरी
ग्रीन हाऊ स गैसों पर नियन्त्रण पाना आज पर्यावरण के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती है। ग्रीन हाउस गैसों की वजह से 5 से 8 डिग्री फॉर्नहाइट धरती का तापमान बढ़ चुका है। यह एक चिन्ता का विषय है इसके लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति व आर्थिक व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है। ये बात अमेरिका में नेशनल ओश्यिेनिक एंड एटमोसफिरिक एडमिनिस्ट्रेशन के उपनिदेशक डॉ. रस शैनल ने गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में आयोजित अंतराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन कही। यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन विवि के पर्यावरण विभाग द्वारा 'पर्यावरणीय बदलाव दौर एवं सत्त विकासÓ विषय पर आयोजित किया गया हे।

डॉ. शैनल ने कहा कि मानटे्रल प्रोटोकाल के कारण ओजोन परत को खतरा पैदा करने वाली गैसों में काफी कमी आई थी जो कि अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक इच्छा शक्ति का उदाहरण है। उन्होंने चिंता जाहिर की कि वर्ष 2005 के बाद एचसीएफसी ओजोन परत के लिए एक बहुत बड़ा खतरा बनकर सामने आई है और इसका निरंतर उपयोग ओजोन परत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय बन गया है।
टोकियो विश्वविद्यालय जापान के प्रो. मासाटाका मुराहारा ने अपने वक्तव्य में सुझाव दिया कि ऑफशोर इलेक्ट्रोलाइसिस प्लांट लगाना चाहिए, जिससे विश्व में र्इंधन संकट व ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पैदा हुई समस्याओं को कम किया जा सकता है ताकि बिना संसाधन नष्ट किए सतत विकास जारी रह सके । प्रो. मुराहारा ने कहा कि सोडियम सस्ता तथा पुन: इस्तेमाल में आने वाला व सतत पदार्थ है जिससे न तो कार्बन डायोक्साईड और न ही रेडियेशन निकलती है।

कोलकाता विश्वविद्यालय की प्रो. रीता सिन्हा दासगुप्ता ने कहा कि जीवन में तरक्की करना मानव सभ्यता मेें निरंतर देखा जा सकता है, जबकि तरक्की के मायने दुनियाभर में पर्यावरण व सतत असूलों को लेकर समय-समय पर विविध रहे हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग दिल्ली के निदेशक डॉ. एसडी अत्री ने कहा कि अव्यवस्थित तरीके से उद्योग और शहरों का फैलाव पर्यावरण के लिए एक समस्या बन गया है। हवा की गुणवत्ता में कमी आने का सबसे बड़ा कारण शहरीकरण व औद्योगिकीकरण है। प्रदूषण के कारण जीवन के हर क्षेत्र में विपरीत असर देखे जा सकते हैं।

यह सम्मेलन बुधवार को भी जारी रहेगा। इस अवसर पर विवि के कुलपति डॉ. डीडीएस संधू, तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. सीपी कौशिक, पर्यावरण विभाग के अधिष्ठाता व अध्यक्ष प्रो. नरसी राम बिश्नोई, आयोजक सचिव प्रो. अनुभा कौशिक, प्रो. वीके गर्ग, मुकुल बिश्रोई, जितेंद्र पाल आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।

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