Thursday, March 20, 2008

होली खेलें मगर ध्यान से

हिसार. इस बार की होली में यदि आपने रंग-बिरंगा होने का मन बना लिया है तो इसकी पूरी तरह से तैयारी कर लें। बाजार में उपलब्ध रंगों के साइड इफेक्ट के चलते लापरवाही में आपको काफी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। चिकित्सकों की मानें तो बाजार में उपलब्ध रंगों में एसिड व एल्कली के अलावा तारकोल व केरोसिन जैसे हानिकारक तत्व शामिल हैं।
यह कलर आंखों में जाने से जहां रोशनी तक जाने का खतरना है, वहीं मुंह व नाक के जरिए गले में जाने से फेफड़े को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। यही नहीं ये कलर लापरवाही पर स्किन की काफी बीमारियों को भी आमंत्रण देते हैं। बावजूद इसके कुछ सावधानी बरतने पर इन सभी खतरों से बचा जा सकता है।
वाटर कलर से बचेंनगर के वरिष्ठ फिजीशियन और हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. रविंद्र गुप्ता का कहना है कि बाजार में उपलब्ध कलर कैमिकल युक्त होते हैं और इनमें क्या मिला है, इसका किसी को भी पता नहीं होता है। आमतौर पर कलर में एसिड और एल्कली के अलावा तारकोल व केरोसिन आदि होते हैं। यदि यह मुंह, नाक व कान में चले जाएं तो नुकसान हो सकता है। कैरोसिन कोई गलती से थोड़ा सा भी पी ले तो उसे गंभीर रूप से निमोनिया हो जाता है।
इसी प्रकार के प्रभाव अन्य केमिकल के शरीर में जाने से आते हैं। कलर गले में चला जाए तो फेफड़ों को भी नुकसान हो सकता है। बचाव के लिए सबसे बढ़िया तरीका वाटर कलर से परहेज करना व गुलाल से खेलना है। होली खेलते समय या खेलने के बाद किसी भी प्रकार की दिक्कत आए तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
नशे में होली ठीक नहींचर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. सुरेंद्र गुप्ता ने बताया कि कलर में एसिड होता है जिसका इस्तेमाल करने पर लोगों की स्किन खराब हो जाती है। इसके अलावा शीशा रहित कलर बाजार में उपलब्ध नहीं है। शीशा चर्म रोगों को बढ़ावा देता है।
चर्म रोगों से बचने के लिए गुलाल से होली खेलना सुरक्षित है लेकिन पानी वाले कलर बिल्कुल प्रयोग न करें। होली खेलने से पहले शरीर पर वैसलीन या नारियल तेल लगा लें और पूरे बाजू के कपड़े पहनकर होली खेलें, कलर लगे तो तुरंत स्किन धो लें। शराब, अफीम, गांजा व भांग आदि का नशा करके होली न खेलें क्योंकि ऐसा करने से स्किन पर दिक्कत आने का पता ही नहीं चलता। किसी भी प्रकार की दिक्कत आने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
रोशनी छीन सकता है कलरनेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. वरुण कवात्रा का कहना है कि होली में लापरवाही बरतने पर संबंधित व्यक्ति के आंखों की रोशनी भी जा सकती है। होली खेलते समय अक्सर आंखों में रंग चला जाता है जो हानिकारक है।
दरअसल कलर में एसिड व एल्कली नामक नुकसानदेह तत्व होते हैं जो पुतली में जख्म भी कर देते हैं जिससे रोशनी जा सकती है। सबसे बड़ी सावधानी नेचुरल कलर के साथ खेलना ही है लेकिन कलर यदि आंख में गिरे तो तुरंत साफ कर लें। बावजूद इन सावधानियों के यदि धुंधला व कम नजर आए व आंख में लाली आ जाए और पानी आने लगे तो चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें और उपचार कराएं।

No comments: